ऐसे तो माँ जननी को कौन नहीं जानता है इस संसार में जिसकी एक मर्जी के बिना एक पत्ता तो क्या किसी का सांस लेना भी दुसवार हो सकता है? माँ के बिना दुनिया का कोई भी काम नहीं हो सकता हैं तो ऐसे में हम अपनी काली माई को क्यों भूल सकते हैं सब पर कृपा करने वाली हैं, वो सबका उद्धार करने वाली हैं, सबको जीवन देने वाली हैं, सबके भरण पोषण करने वाली हैं ? यहीं तो है हमारी काली माई वह सभी दुखों का निवारण करती हैं, सभी कष्टों का निर्माण करती हैं, सभी पापियों को नाश करती हैं।
गाँव की काली माँ का बखान और उनकी अपार कृपा व शक्ति
गाँव की अधिष्ठात्री देवी, काली माँ, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की महामाया हैं। उनका स्वरूप अति भयानक होते हुए भी अपने भक्तों के लिए माँ की कोमलता से परिपूर्ण है। माँ काली गाँव के कण–कण में व्याप्त हैं — खेतों की हरियाली, पोखरे की नीरवता, और पीपल की छाँव में उनकी उपस्थिति महसूस होती है।
माँ काली की अपर कृपा ऐसी है कि जो कोई भी सच्चे मन से उनका स्मरण करता है, उसकी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं। वे अंधकार में प्रकाश की किरण हैं, संकट में रक्षा की ढाल हैं। माँ की महिमा अनंत है — वे जीवन से हार चुके व्यक्ति को भी नवचेतना प्रदान करती हैं।
उनकी शक्ति का वर्णन करना शब्दों के परे है। वे राक्षसों का संहार करने वाली, अधर्म का नाश करने वाली, और धर्म की स्थापना करने वाली जगत्जननी हैं। उनका एक ही कराल रूप, पापियों के अंत के लिए पर्याप्त है। किंतु वही माँ, अपने भक्तों के लिए अन्नपूर्णा, करुणामयी और सदा स्नेहवती हैं।
गाँव के लोग जब माँ के दरबार में दीप जलाकर, ढोल–नगाड़ों के साथ जगराता करते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं देवी धरती पर अवतरित हो गई हों। उनके चरणों में सिर झुकाकर हर भक्त अपने दुखों को माँ के चरणों में समर्पित कर देता है — और माँ उसे अपनी कृपा से नवजीवन प्रदान करती हैं।
काली माँ न केवल शक्ति की प्रतीक हैं, बल्कि अडिग विश्वास और अमर आस्था की जीवंत मूर्ति हैं।
"काली माँ का जयगान"
काली कल्याणी गाँव की रानी,
भूत–प्रेत से जो करे कहानी।
कराल रूप भय हरने वाली,
ममता में फिर माँ बन जाने वाली।
चरणों में जिसके शरण सभी पाएं,
दुख, दरिद्र, संकट सब जाएं।
भक्तों की सुनती हर एक पुकार,
रक्षण करती माँ हर बार।
माथे पर भाल चंद्रमा प्यारा,
गले में मुंडमाल न्यारा।
शक्ति की ज्वाला, विनाश की अग्नि,
माँ की महिमा करे विश्व ठग्नी।
गरज उठे जब ढोल नगाड़ा,
माँ का दरबार लगे न्यारा।
दीप जलाएं, भक्त झुक जाएं,
काली कृपा से जीवन पाएँ।
जय माँ काली!